Monday, September 15, 2025

Engineer's Day अभियंता दिवस ,

गणना में रस घोलकर, सपनों को दे रूप।
अभियंता जग का करे, नवसृजन अनूप।।

ईंट गगन को छू सके, सेतु मिलाएँ पार।
प्रगति-पथ पर चल पड़े, जग के सब परिवार।।

लोहे में भी प्राण भर, ध्वनि में लाए राग।
निर्माणों से जगमगाए, जीवन का हर भाग।।

विज्ञान और कला मिले, कर्म बने उत्सव।
अभियंता की साधना, रचे सृष्टि नव-स्वर।।

पुल नभ से धरती जुड़ें, धरा से सागर-तट।
अभियंता से हो सके, भविष्य का नव-वट।।
          ..... सर्वेश 

अभियंता दिवस की अशेष शुभकामनाएं💐💐

Sunday, September 14, 2025

हिंदी दिवस की shubhkamnaaye

मैं भारत मां की शान हूँ,
मैं हिन्दी, भारत की जान हूँ।
माँ के चरणों का वरदान हूँ,
मैं हिंदी, भारत मां की पहचान हूँ।।

वेदों की वाणी से उपजी,
गीता की अमर गाथा हूँ।
मीरा-सूर-तुलसी का रस,
कबीर की साखी साथा हूँ।
मैं हिंदी, भारत मां की पहचान हूँ।।

झाँसी की रण-चेतना हूँ,
आज़ादी की हुंकार हूँ।
भगत-सुखदेव की गूँज अमर,
क्रांति का पावन जयकार हूँ।
मैं हिंदी, भारत मां की पहचान हूँ।।

गंगा-यमुना की धारा हूँ,
खेत-खलिहान की बयार हूँ।
गाँव-नगर का संगीत बनी,
भारत की आत्मा अपार हूँ।
मैं हिंदी, भारत मां की पहचान हूँ।।

महादेवी की करुणा हूँ,
प्रेमचंद की पहचान हूँ।
साहित्य का अनुपम उत्सव,
संस्कृति का सम्मान हूँ।
मैं हिंदी, भारत मां की पहचान हूँ।।
      ....सर्वेश दुबे

हिंदी दिवस की अशेष शुभकामनाएं 💐

Saturday, September 13, 2025

संघर्ष ने रोका नहीं, सँवारा है

रोशनी की खोज में अंधेरे में भटकता रहा,
साये ने राह दिखाई मगर मंज़िल न दिखी कहता रहा ।
खुद की लौ जलानी पड़ी तब जाकर समझा,
उजाला बाहर नहीं, दिल के अंदर ही है छिपा।
ठोकरों ने सिखाया कि गिरकर भी बढ़ना है,
हर दर्द ने जताया कि सपनों को गढ़ना है।
जब तक साँसों में हिम्मत की धड़कन रहेगी,
रात कितनी भी गहरी हो, सुबह जरूर ढलेगी।
अब राहें खुद मुझसे रौशनी माँगती हैं,
मेरी कहानी से उम्मीदें जागती हैं।
अंधेरे ने मुझे रोका नहीं, सँवारा है,
मैं वही दीप हूँ जो तूफ़ानों को भी गवारा है।

 – सर्वेश

Friday, September 12, 2025

नैन से नैन

नैन से नैन मिलेंगे तो अधरों का मिलना तय है,
मिल दो अस्तित्व  एक बने, तब दोनों का खोना तय है।

चाँदनी रात में जब रूह का राग जागेगा,
संगम का हर पल अमृत-सा पीना तय है।

 आँच जुदाई की कितनी भी बढ़ जाए,
मिलन की बारिश से उसका बुझना तय है।

वक्त की आँधियाँ चाहें जितनी भी  बहे,
प्रेम के दीपक का उजियारा देना तय है।

रात की जद में तेरी यादें जब दस्तक देती हैं,
सपनों के गलियारे में तेरा उतरना तय है।

तेरे बिना अधूरी लगती है हर सांस की धड़कन,
तुझसे मिलने पर जीवन का सँवरना तय है।

तेरी मुस्कान से बहारों का मौसम खिल उठता है,
सुनसान दिल में फूलों का महकना तय है।

तेरे लफ़्ज़ों में मिलता है मुझे खुदा का नूर,
तेरे इश्क़ में रूह का तृप्त होना तय है।

तेरे बिना हर रंग अधूरा, तेरे संग बहारें पूरी,
इश्क़ के मौसम में दिल का गुलशन खिलना तय है।

जब हाथ से हाथ छुए तो धड़कन बढ़ना तय है,
पलकों की छाँव तले सपनों का पलना तय है।

सर्वेश के अल्फ़ाज़ हैं बस इतना जान लो,
आत्मा से आत्मा मिले तो अनन्त का होना तय है।

     .... सर्वेश दुबे

Thursday, September 11, 2025

हम तो एहसास हैं ज़ंजीरों में नहीं आएंगे।

अब किसी नाम की मुहरों में नहीं आएंगे,
हम तो एहसास हैं  ज़ंजीरों में नहीं आएंगे।

जो भी टूटा, उसे हमने ख़ुद समेटा है,
हम वो शीशा हैं जो टुकड़ों में नहीं आएंगे।

इश्क़ की राह में लुटे थे तो क्या हुआ,
अब किसी सूली, किसी फाँसे में नहीं आएंगे।

जिसने छोड़ा हमें अंधेरों की चाह में,
उसके लिए फिर उजाले में नहीं आएंगे।

अब न आँसू बचें हैं, न कोई शिकवा,
हम दुआ हैं — बददुआओं में नहीं आएंगे।

हमसे अब रूह का रिश्ता ही बनाना,
जिस्म की, लिबास की परिभाषे में नहीं आएंगे।

जिसे खोया था 
कभी भीड़ में बेवजह,
उसे फिर से तलाशे  नहीं आएंगे।
......सर्वेश दुबे

आदरणीय शिक्षक

शब्दों के दीप जलाते हैं,
अज्ञान के तमस मिटाते हैं।
मन की मिट्टी को गढ़कर के,
भविष्य की मूर्ति बनाते हैं।

पथरीली राहों पर चलना,
उन्होंने ही सिखलाया है।
गिरते-पड़ते सपनों को,
हाथ पकड़कर उठलाया  है।

ज्ञान नहीं बस बाँटा उन्होंने,
जीवन जीना भी सिखलाया है।
हर कठिनाई में हौसलों का,
नव दीप उन्होंने जलाया है।

शिक्षक कोई साधारण नहीं,
वो तो विधि का वरदान हैं।
धरती पर जो देव सम आए,
वो सचमुच "गुरु भगवान" हैं।

उनकी छाया में खिलते हैं,
जीवन के सच्चे गुणगान।
शिष्य जहाँ भी जाते हैं,
रहे साथ गुरु मंत्र महान।🙏🏻💐
     ... सर्वेश दुबे
 ०५-०९-२०२५

प्रेम कविता, हमने फूल भेजा

हमने उनको फूल भेजा तो उन्होंने भी गुलाब भेज दिया,

दिल की बात समझे शायद, हमें जवाब भेज दिया।

उनकी आँखों में चमकती है जैसे कोई रौशनी,
ख़्वाब देखा हमने और उन्होंने ख़्वाब भेज दिया।

फ़ासले मिट गए चुपके से उनकी यादों में,
हमने साँस ली मोहब्बत की, उन्होंने हिजाब भेज दिया।

जाने कैसी मोहब्बत है कि असर गहरा हुआ,
हमने लिखी तड़प तो उन्होंने इतराब भेज दिया।

अब तो "सर्वेश" की शायरी भी उनके दिल तक जा पहुँची,
हमने अशआर कहे तो उन्होंने किताब भेज दिया।
       .....सर्वेश दुबे
     ०२- ०९ - २०२५

जीवन ज्योति

नील नभ के नयन में स्वप्न-दीप टिमटिमाए,
चाँदनी के करों से आँसुओं के रत्न सजाए।

काल-रेत की लहरें हर निशानी बहा ले गईं,
किन्तु पवन के पंखों पर दिशा नई लिख आई।

काँटों की करधनी में कमल-गंध मुस्काई,
वज्र से कठोर वेदना भी मृदु वीणा बन पाई।

तमस-गुफ़ाओं में जब छाया का प्रलय बरसा,
दीपक ने हृदय से प्रभा का आँगन रच डाला।

अश्रु-अंबर से झरे मोती बनकर हर पीड़ा,
विरह-शारदीय शशि-सा, निर्मल हँसी बिखेर लाई।

तूफ़ानों की गर्जना में पतवार गीत गाती,
वज्र-वृष्टि की चोटों को हृदय कमल सहलाता।

मृत्यु की मौन वीणा पर जीवन की तान गूँजी,
शूलों की शैया पर भी कुसुम-गंध महकी।

भाग्य के बंधन जब नागपाश से लिपटे,
धैर्य ने वज्र बनकर हर पाश तोड़ डाले।

स्वप्न-खंडित हज़ार हुए, पर आस्था न टूटी,
ज्योतिर्मय आत्मा से अंधकार झुक गया।

इतिहास यदि पूछे मेरी व्यथा का लेखा,
कहेगा  राख से भी स्वर्ण किला गढ़ा मैंने।
....सर्वेश दुबे
    ०८/०९/२०२५

Sunday, June 20, 2021

विरह ,मीत,वेदना

 मीत विरह की वेदना              ऊर्जा से भरपूर.......

मिलने को मैं उड़ चला            लाख गगन हो दूर.......

@सर्वेश

आदरणीय पिता...एक सुखद छाया

 

जब मैं खुद पिता की भूमिका में आया,
तभी तो मैं अपनी पिता की भूमिका को समझ पाया।
पिता के भी एहसास माँ के एहसासो से कम थोड़े है।
पिता के अहसास तो एक पतली किन्तु सख्त चादर ओढ़े है।
माँ मेरी एक सफलता पर तो  खुशी के आंसू बहाती है,
पूरे मोहल्ले और रिश्तेदारों को बताती है ।
तब पिता का कुछ ना बोलना,  मन को मेरे दुःखता था
व्यग्रता से सोचता  था कि वो कैसे बन्दे है
पर बाद में पता चलता है  की,
मेरी हर  सफलता के नीचे उन्ही के तो कंधे है ।
लगती है चोट मुझे तो माँ दौड़ कर आती है
अपने स्नेह का लेप वो लगाती है।
लेकिन वहीं पर पिता की दृढ़ता हमको नही भाति है,
लेकिन सत्य यही वही सख्ती हम को बहुत मजबूत बनाती है ।।
माँ संस्कार तो पिता दिशा देते है।
दिशा होती है तो गति मिलती है,
और जब गति होती है प्रगति मिलती है। ।  @सर्वेश २०/०६/२०२१

Tuesday, May 8, 2018

दिल

दिल बेबाक आईना है उसमे भी देखा करे कभी!
सुन रहे है ना सभी !!
@सर्वेश

दुनियादारी

मत समझो कि सीख ली तूने दुनियादारी आज।
हर दिन ये तो होना है जब तक अंग समाज।।@सर्वेश

Wednesday, April 6, 2016

इशारा है काफी समझ आप जाए

माँ बाप की दुआएं 
गर आप पाएं
इशारा है काफी
समझ आप जाए

चुनावी मौसम 
गर वो दिख जाये 
इशारा है काफी 
समझ प जाए

अदा देख उनकी
गर हार जाए                              
इशारा है काफी
समझ आप जाए

सोचे उन्हे ही 
और वो सपने में आये
इशारा है काफी
समझ आप जाये

जेबे बडी हो 
और झोला छोटा हो जाये
इशारा है काफी 
समझ आप जाये



-    सर्वेश दुबे

Tuesday, August 28, 2012

इश्क और अश्क का कुछ इस कदर रिश्ता ! इश्क के जाते दूर अश्क आखो मे दिखता !!

Tuesday, July 27, 2010

ह्र्दय, तडप और प्यास कविता का अहसास

सोचता था कवि बनूगा
सरल सहज शब्दो को लेकर
ह्र्दयस्पर्शी कविता गडूगा
खुब तलाशे शब्द मैने, पढी
खुब कविताये
कुछ तो हम खुद समझ गये
कुछ वक्त ने समझाये
शब्दो का भन्डार अनुपम
गर्व से मै भर गया
उत्कृष्ट शब्दो से कविता
को मैने भर दिया
शब्द ग्यान के गर्व ने
कविता को नीरस कर दिया
ना दे सका आकार स्वप्न को
जो बचपन मे मैने थे बनाये
ह्र्दय तो खण्डित हो चुका
रात भर अश्रु बहाये
गर्व तो अब मर चुका था
तब मन को हुया अह्सास
कबिता को गुनने के लिये
हो ह्र्दय, तडप और प्यास
-सर्वेश -