Friday, October 24, 2025

स्वदेशी अपनाओ

सामान खरीदे वही
जो बना हो यही,
स्वदेशी समान धन ही नहीं सम्मान भी बढ़ाएगा।
तभी तो भारत जगमगाएगा 

माटी की खुशबू से जुड़ा हर धागा,
कर्मठ हाथों का परिश्रम इसमें जागा,
हर खरीद एक नवदीप जलाएगा,
देश का गौरव और ऊँचा उठाएगा।

हर कतरे में मेहनत का रंग,
हर बूँद में श्रम का संग,
किसान, कारीगर का सपना सजाएगा,
भारत का तिरंगा हर दिशा में लहराएगा।

विदेशी चमक भले लुभाए नज़र को,
पर मिटा न पाए देश की जड़ को,
आओ मिलकर प्रण ये दोहराएँ,
स्वदेशी अपनाएँ, भारत को सजाएँ।

विदेशी दिखावे से दिल न भरें,
अपनी मिट्टी से रिश्ते न तोड़ें,
गाँव–गली का हुनर जगमगाएगा,
स्वदेशी अपनाओगे भविष्य सँवर जायेगा।

चौपाल से लेकर शहर की दुकान,
हर जगह बजे स्वदेशी का गान,
रोज़गार बढ़े, हर घर मुस्काएगा,
आत्मनिर्भर भारत तभी तो बन पाएगा

आओ मिल सब स्वदेशी अपनाए 
भारत के मान को मिल हम  बढ़ाए
आओ मिल हम एक स्वर में गाएँ,
भारत माँ का मान हरपल बढ़ाएँ।

   ....सर्वेश दुबे

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