हर एक मोड़ पर हँस के गुजरती है ज़िंदगी,
ग़मों के बीच भी रौशनी भरती है ज़िंदगी।
जो ठोकरों में भी हौसले का गीत गुनगुनाए,
उसी के नाम अपनी कहानी करती है ज़िंदगी।
कभी घटा, कभी धूप, कभी राते भी देती है,
हर एक रंग में खुद को निखारती है ज़िंदगी।
सफ़र में साथ चलें तो बोझ सब हल्का लगे,
मोहब्बतों से ही अपनी पहचान करती है ज़िंदगी।
जो गिर के फिर उठे, वो फतह के काबिल बने,
हौंसलों की जीत पर ही मुस्कराती है ज़िंदगी।
शिकायतों से कहीं बेहतर शुक्र करना सीख ले,
क़दर करने वालों को ही भरपूर मिलती है ज़िंदगी।
नफ़रतें छोड़, दुआओं की फ़सल बो दे "सर्वेश",
खिलखिलाके हर दिल में जगह करती है ज़िंदगी।
.......सर्वेश दुबे
०९/१२/२०२५


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