मैं भारत मां की शान हूँ,
मैं हिन्दी, भारत की जान हूँ।
माँ के चरणों का वरदान हूँ,
मैं हिंदी, भारत मां की पहचान हूँ।।
वेदों की वाणी से उपजी,
गीता की अमर गाथा हूँ।
मीरा-सूर-तुलसी का रस,
कबीर की साखी साथा हूँ।
मैं हिंदी, भारत मां की पहचान हूँ।।
झाँसी की रण-चेतना हूँ,
आज़ादी की हुंकार हूँ।
भगत-सुखदेव की गूँज अमर,
क्रांति का पावन जयकार हूँ।
मैं हिंदी, भारत मां की पहचान हूँ।।
गंगा-यमुना की धारा हूँ,
खेत-खलिहान की बयार हूँ।
गाँव-नगर का संगीत बनी,
भारत की आत्मा अपार हूँ।
मैं हिंदी, भारत मां की पहचान हूँ।।
महादेवी की करुणा हूँ,
प्रेमचंद की पहचान हूँ।
साहित्य का अनुपम उत्सव,
संस्कृति का सम्मान हूँ।
मैं हिंदी, भारत मां की पहचान हूँ।।
....सर्वेश दुबे
हिंदी दिवस की अशेष शुभकामनाएं 💐


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