गणना में रस घोलकर, सपनों को दे रूप।
अभियंता जग का करे, नवसृजन अनूप।।
ईंट गगन को छू सके, सेतु मिलाएँ पार।
प्रगति-पथ पर चल पड़े, जग के सब परिवार।।
लोहे में भी प्राण भर, ध्वनि में लाए राग।
निर्माणों से जगमगाए, जीवन का हर भाग।।
विज्ञान और कला मिले, कर्म बने उत्सव।
अभियंता की साधना, रचे सृष्टि नव-स्वर।।
पुल नभ से धरती जुड़ें, धरा से सागर-तट।
अभियंता से हो सके, भविष्य का नव-वट।।
..... सर्वेश
अभियंता दिवस की अशेष शुभकामनाएं💐💐


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