शब्दों के दीप जलाते हैं,
अज्ञान के तमस मिटाते हैं।
मन की मिट्टी को गढ़कर के,
भविष्य की मूर्ति बनाते हैं।
पथरीली राहों पर चलना,
उन्होंने ही सिखलाया है।
गिरते-पड़ते सपनों को,
हाथ पकड़कर उठलाया है।
ज्ञान नहीं बस बाँटा उन्होंने,
जीवन जीना भी सिखलाया है।
हर कठिनाई में हौसलों का,
नव दीप उन्होंने जलाया है।
शिक्षक कोई साधारण नहीं,
वो तो विधि का वरदान हैं।
धरती पर जो देव सम आए,
वो सचमुच "गुरु भगवान" हैं।
उनकी छाया में खिलते हैं,
जीवन के सच्चे गुणगान।
शिष्य जहाँ भी जाते हैं,
रहे साथ गुरु मंत्र महान।🙏🏻💐
... सर्वेश दुबे
०५-०९-२०२५
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