दु:शासन की भूमिका बन्द करो
दोस्तो प्रकृति का चीर हरण मत करो
जल को जहर मत बनाओ
बिना पेड का शहर मत बसाओ
कृत्रिमता को दिखावो को
खास मत बनाओ
प्रकृति की सुन्दरता को
इतिहास मत बनाओ
पेड जब नाराज हो जायेगे
फ़ुल और पत्ते खो जायेगे
अपनी रुठी हुयी महबूबा को
फ़ूल के बिना तुम कैसे मनाओगे
नदियाँ जब सूख जायेगी
मछलियाँ मर जायेगी
अपने मासूम से बच्चे को
कहानियाँ तुम कैसे सुनाओगे
आओ संकल्प ले
पेड को लगाने का
प्रकृति को बचाने को
सर्वेश दुबे
दोस्तो प्रकृति का चीर हरण मत करो
जल को जहर मत बनाओ
बिना पेड का शहर मत बसाओ
कृत्रिमता को दिखावो को
खास मत बनाओ
प्रकृति की सुन्दरता को
इतिहास मत बनाओ
पेड जब नाराज हो जायेगे
फ़ुल और पत्ते खो जायेगे
अपनी रुठी हुयी महबूबा को
फ़ूल के बिना तुम कैसे मनाओगे
नदियाँ जब सूख जायेगी
मछलियाँ मर जायेगी
अपने मासूम से बच्चे को
कहानियाँ तुम कैसे सुनाओगे
आओ संकल्प ले
पेड को लगाने का
प्रकृति को बचाने को
सर्वेश दुबे
3 comments:
sahi hai.... aaj ke daur mai ame zaroorat hai kuch aise hi sankalpon ki... achchhe prayaas ke liye badhai...mere blog par kuch nyi posta hain...kripya wahan aa kar apna aashirvad pradan karen...
sir mere blog par comments karne ke liye bahut shukriya...aapke comnts padhkar achchha laga...aur haan mera naam anshuja hai anjusha nahi hai..anyways thanx 4 ur precious comnte..
बहुत हीं सुंदर कविता
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