भावो मे बस दिखता है
ये मन का जो रिश्ता है
ना वासना, ना लालच
ना पैसे से बिकता है
ये मन का जो रिश्ता है।
लाख छिपाये दुनिया से तू
पर आँखो मे बसता है
ये मन का जो रिश्ता है।
ये मन का जो रिश्ता है
ना वासना, ना लालच
ना पैसे से बिकता है
ये मन का जो रिश्ता है।
लाख छिपाये दुनिया से तू
पर आँखो मे बसता है
ये मन का जो रिश्ता है।
ना कोई भाषा ना परिभाषा
तेरी खुशियाँ मेरी आशा
नाम नया क्या दू
इस रिश्ते को
ये बस मन का रिश्ता है।
तेरे हर आहट का स्पन्दन
मेरे दिल को कैसे होता
मै तो बस इतना ही जानू
ये मन का जो रिश्ता है
ना टूटे ये साथ कभी
दिल ये ही आशा करता है
रंग रूप ना और कोई सीमा
ये मन का जो रिश्ता है।
ना चाँहू मै धन तेरा
ना चाँहू मै तन तेरा
बना रहे ये भाव हमारा
ये मन का जो रिश्ता है।
इस रिश्ते कि डोर सभी रे
हाथ हमारे है मितवा
ये टुटे तो दिल दुखता है
ये मन का जो रिश्ता है।