Wednesday, November 12, 2008

नुतन

यह समय नही अब चुप रहने का
जीवन मे उत्साह भरो
पाँच खिडकियों वाले घर की
अब नूतन उपयोग करो
कटंक पूर्ण जो राहे है
उनको प्रशस्त अब करना है
भौतिकता को दुर करो अब
सहज भाव से रहना है
प्राचीन गौरवों को सहेज
नये गौरव पैदा करना है
नव ऊर्जा के स्रोत हो तुम
नई खोज तुम्ही को करना है
नई खोज तुम्ही को करना है
सर्वेश तुम्ही को बनना है
सर्वेश तुम्ही को बनना है.

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