Saturday, January 24, 2009

तुम ही तो निर्माता हो

मेरे सपनो के दुनिया के
तुम ही तो निर्माता हो
मेरे मन की हर बातो के
एक ही तुम तो ग्याता हो।
हर पल हर क्षण हर सासों ने
केवल तुमको जाना है
तुम अकेली ऐसी जिसको मैने
मन का मीत तो माना है
हर रुपहले परदे मे बस तेरी
दिखती है छाया
हो रहा प्रफ़ुल्लित जीवन मेरा
तुझसा मन का मीत जो पाया

2 comments:

मोहन वशिष्‍ठ said...

वाह जी वाह बेहतरीन मन की बातें कभी मेरे मन में भी आओ

Servesh Dubey said...

प्रिय मोहन जी
धन्यवाद आपको

सर्वेश दुबे