Thursday, January 29, 2009

होठों को क्यो सी लेते हो?

कह दो दिल मे प्रीत जो तेरे
होठों को क्यो सी लेते हो?
क्या खाते तुम क्या पीते हो
मेरे बिन तुम जी लेते हो?


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नही संयोग, ये होता है योग
कि मन के रिश्ते बन जाते है।
अन्तहीन इसकी सीमा रेखा फ़िर भी
सब इसमे समा नही पाते है…

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Saturday, January 24, 2009

तुम ही तो निर्माता हो

मेरे सपनो के दुनिया के
तुम ही तो निर्माता हो
मेरे मन की हर बातो के
एक ही तुम तो ग्याता हो।
हर पल हर क्षण हर सासों ने
केवल तुमको जाना है
तुम अकेली ऐसी जिसको मैने
मन का मीत तो माना है
हर रुपहले परदे मे बस तेरी
दिखती है छाया
हो रहा प्रफ़ुल्लित जीवन मेरा
तुझसा मन का मीत जो पाया

माँ पर कविता

माँ
एक ऐसी रचना जो सब पर भारी है
उसी की सृष्टि ये दुनिया सारी है

माँ पर लिखू कविता मेरे
मित्र ने कि की मुझसे ऐसी कामना
पर माँ को उतार सकू कविताओ मे
ऐसे शब्दों से हो सका न सामना

फ़िर मै हताश निराश हो शब्दो को
ढुढने का खत्म कर दिया प्रयास
और खो गया बचपन की उस दुनिया मे
जब मेरी माँ ही मेरे लिये है सबसे खास

माँ के वात्सल्य भाव का ऐसी है भूमिका
चित्र ना उतार सके बनी न ऐसी तूलिका
माँ के अनन्त उपकार को तू कभी भी मत भुला
तोल सके जिससे तू बन सकी ना वो तुला

माँ असीम दर्द से भरे उन नौ महिने को
अपने जीवन का सबसे सुखद क्षण मानती है
हमारे आखों मे बहने वाला आसू
सुख या दर्द के है वो सब जानती है

मां के विश्वास ने मुझमे
आत्मविश्वास का बीज बो दिया
उसकी त्याग ने सही रास्ते पे लाकर
मुझे इन्सान बना दिया

क्षमा करो ये मित्र मुझे तुम,
लिख सका ना माँ पर कविता
शब्दों मे मै ढुढ सका ना
ऐसी होती माँ की ममता ॥

नववर्ष

नववर्ष का शुभ आगमन
आओ करे इसका अभिनन्दन

हर किरण इस भोर की
खुशियो से भर दे आपका मन
हर दिशा मे बहता रहे
सुख शान्ति का ये शुभ पवन

दमक उठे तन मन सबका
मानो जीवन का ये नया सवेरा
भरा रहे मन उल्लासो से
तोड दो अब विषाद का घेरा

ये जो पहली नव किरन
रोम रोम पुलकित करे
बढे समृदि का साधन
परिवार सब हँसते रहे

ना दुखी हो मन किसी का
ना दुखी हो तन किसी का
आशाओं के दीप जलाकर
करे अभिनन्दन नव वर्ष का

सर्वेश की यही कामना कि
ये नववर्ष हो बहुत खास
दीप प्यार के जलते रहे
रचे नया इस जग मे इतिहास

Friday, January 23, 2009

पात्रता

बन सकते है वही मित्र
जिनका ह्र्दय हो पवित्र
साफ़ ह्र्दय की शत प्रतिशत मात्रा
मित्रता की एक ही पात्रता

Wednesday, January 21, 2009

छोटी छोटी बातो से रिश्ते मरा नही करते है1


इस धरा पे जन अनगिनत है आते
गीत प्यार के सब है गाते
फ़िर भी ये जो मन का रिश्ता सबसे बना नही करते है।

चुने हुये मोती से बनते
सम्बन्धो की पावन माला
छोटी छोटी बातो से रिश्ते मरा नही करते है।

जब केवल रिश्ता हो तन का
सूख गया हो बगियाँ मन का
खर पतावारो का ऊग जाना जीवन हरा नही करते है।

सूरज के छिप जाने से
रात घनेरी आने से
लाख दिखाये रुपया पैसा पर सूरज दिखा नही करते है।

लाख घनेरी राते हो
सपने खूब डराते हो
मन मे आस लिये भोर का सूरज डरा नही करते है।

मीरा कृष्ण दीवानी है
आँखो मे उसके पानी है
कपडे के पर्दो के फ़ट जाने से इज्जत बिका नही करते है
फ़िर भी ये जो मन का रिश्ता सबसे बना नही करते है।