तेरे जीवन के उपवन मे
केवल फल सुख का ही हो।
है मेरी बस यही प्रार्थना
सफ़लता तेरे सन्मुख हो॥
सारे स्वप्न बने हकीकत
स्वर्णिम सा सब सुख मिले।
सदा रहो मुस्काते तुम
सदा रहो तुम खिले खिले।।
ऐसा तेज आये तुझमे कि,
नतमस्तक हो जाये सूरज ।
धैर्य तुम्हे मिल जाये इतना
जैसे हो धरती का धीरज ॥
चाहे विषम परिस्थिति आये
चाहे हो कांटो का पथ ।
ना चेहरे पे छाये उदासी
ना रुके प्रगति का तेरा रथ ॥
Friday, May 22, 2009
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