Sunday, June 20, 2021

विरह ,मीत,वेदना

 मीत विरह की वेदना              ऊर्जा से भरपूर.......

मिलने को मैं उड़ चला            लाख गगन हो दूर.......

@सर्वेश

आदरणीय पिता...एक सुखद छाया

 

जब मैं खुद पिता की भूमिका में आया,
तभी तो मैं अपनी पिता की भूमिका को समझ पाया।
पिता के भी एहसास माँ के एहसासो से कम थोड़े है।
पिता के अहसास तो एक पतली किन्तु सख्त चादर ओढ़े है।
माँ मेरी एक सफलता पर तो  खुशी के आंसू बहाती है,
पूरे मोहल्ले और रिश्तेदारों को बताती है ।
तब पिता का कुछ ना बोलना,  मन को मेरे दुःखता था
व्यग्रता से सोचता  था कि वो कैसे बन्दे है
पर बाद में पता चलता है  की,
मेरी हर  सफलता के नीचे उन्ही के तो कंधे है ।
लगती है चोट मुझे तो माँ दौड़ कर आती है
अपने स्नेह का लेप वो लगाती है।
लेकिन वहीं पर पिता की दृढ़ता हमको नही भाति है,
लेकिन सत्य यही वही सख्ती हम को बहुत मजबूत बनाती है ।।
माँ संस्कार तो पिता दिशा देते है।
दिशा होती है तो गति मिलती है,
और जब गति होती है प्रगति मिलती है। ।  @सर्वेश २०/०६/२०२१

Tuesday, May 8, 2018

दिल

दिल बेबाक आईना है उसमे भी देखा करे कभी!
सुन रहे है ना सभी !!
@सर्वेश

दुनियादारी

मत समझो कि सीख ली तूने दुनियादारी आज।
हर दिन ये तो होना है जब तक अंग समाज।।@सर्वेश

Wednesday, April 6, 2016

इशारा है काफी समझ आप जाए

माँ बाप की दुआएं 
गर आप पाएं
इशारा है काफी
समझ आप जाए

चुनावी मौसम 
गर वो दिख जाये 
इशारा है काफी 
समझ प जाए

अदा देख उनकी
गर हार जाए                              
इशारा है काफी
समझ आप जाए

सोचे उन्हे ही 
और वो सपने में आये
इशारा है काफी
समझ आप जाये

जेबे बडी हो 
और झोला छोटा हो जाये
इशारा है काफी 
समझ आप जाये



-    सर्वेश दुबे

Tuesday, August 28, 2012

इश्क और अश्क का कुछ इस कदर रिश्ता ! इश्क के जाते दूर अश्क आखो मे दिखता !!

Tuesday, July 27, 2010

ह्र्दय, तडप और प्यास कविता का अहसास

सोचता था कवि बनूगा
सरल सहज शब्दो को लेकर
ह्र्दयस्पर्शी कविता गडूगा
खुब तलाशे शब्द मैने, पढी
खुब कविताये
कुछ तो हम खुद समझ गये
कुछ वक्त ने समझाये
शब्दो का भन्डार अनुपम
गर्व से मै भर गया
उत्कृष्ट शब्दो से कविता
को मैने भर दिया
शब्द ग्यान के गर्व ने
कविता को नीरस कर दिया
ना दे सका आकार स्वप्न को
जो बचपन मे मैने थे बनाये
ह्र्दय तो खण्डित हो चुका
रात भर अश्रु बहाये
गर्व तो अब मर चुका था
तब मन को हुया अह्सास
कबिता को गुनने के लिये
हो ह्र्दय, तडप और प्यास
-सर्वेश -

Monday, July 26, 2010

मेरा दिल फ़्रिजाइल है

एक लडका जब प्यार के सागर के गोते लगाता है तो अपनी प्रेमिका से क्या अपेक्षा करता है

मेरा दिल फ़्रिजाइल है

मेरी याद मे तुम्हारी
तवियत ना बिगडें
लंच और खाना लेना तगडें
तुम्हारा ख्याल रखने की
ये मेरी स्टाईल है
प्रिये मेरा दिल ना तोडना
ये तो बहुत फ़्रिजाइल है।

जब भी चैट करो मुझसे
एक ही लाईन यूज करना
जितनी भी देर चैट करू
उतनी देर तुम भी करना
तुमसे चैट करने की
ये मेरी स्टाईल है
प्रिये मेरा दिल ना तोडना
ये तो बहुत फ़्रिजाइल है।


ज़ब भी तेरा फ़ोटो देखू
दिल मे कुछ कुछ होता है
सब कुछ तुझे सही बता दू
ऐसा मन मे होता है
तुझसे प्यार जताने की
ये मेरी स्टाईल है
प्रिये मेरा दिल ना तोडना
ये तो बहुत फ़्रिजाइल है।

बकौल तुम मै हू पहला
जिसने तुम को ILU बोला
साफ़ ह्र्दय मै रखता हू
इसीलिये मै तुमसे बोला
तुझसे मन की बात बताने की
ये मेरी स्टाईल है
प्रिये मेरा दिल ना तोडना
ये तो बहुत फ़्रजाइल है।

Thursday, May 20, 2010

प्रकृति की सुन्दरता को इतिहास मत बनाओ

दु:शासन की भूमिका बन्द करो
दोस्तो प्रकृति का चीर हरण मत करो
जल को जहर मत बनाओ
बिना पेड का शहर मत बसाओ

कृत्रिमता को दिखावो को
खास मत बनाओ
प्रकृति की सुन्दरता को
इतिहास मत बनाओ

पेड जब नाराज हो जायेगे
फ़ुल और पत्ते खो जायेगे
अपनी रुठी हुयी महबूबा को
फ़ूल के बिना तुम कैसे मनाओगे

नदियाँ जब सूख जायेगी
मछलियाँ मर जायेगी
अपने मासूम से बच्चे को
कहानियाँ तुम कैसे सुनाओगे

आओ संकल्प ले
पेड को लगाने का
प्रकृति को बचाने को

सर्वेश दुबे

Saturday, September 26, 2009

आपका दशहरा,

आपका दशहरा,
हो प्यार से हरा भरा
खुशियो से युक्त रहे,
दु:ख ना हो जरा
प्रगति के नये सोपान लि्खो
धन सम्प्दा से युक्त दिखो
इस धरा पे तुम कर दो कुछ नया
हर दिशा मे तेरा नाम हो बँया
अपका दशहरा, हो प्यार से भरा
खुशियो से युक्त रहो, दु:ख ना हो जरा

---सभी को विजयादशमी के गर्व भरे पर्व पर मेरी तरफ़ से हार्दिक शुभकामनाये -------

Wednesday, September 23, 2009

नेता - देश को गडडे मे धकेलता ---

चुनाव के समय
आप बहुत नम्र दिखते है
आप बहुत विनम्र दिखते है
अरे मै तो भूल गया था
की आप नेता है ----------,
आप संसद मे प्रश्न उठाते
बदले मे पैसे कमाते
आप तो पीठ मे छूरा
भोकने मे उस्ताद है
अरे मै तो भूल गया था
की आप नेता है------------

अरे आज जिनके आगे
वोटो के लिये सर झुकाते है
चुनाव जितने के बाद आप उनको
तबियत से धकियाते है
अरे मै तो भूल गया था
की आप नेता है,----------

पहले आप एक दुसरे पर संसद मे माईक
और कुर्सी खींच कर मारते है
आज आप कुर्सी के लालच मे एक दुसरे
की दोस्ती कि डींगे हाकते है
अरे मै तो भूल गया था
की आप नेता है,----------

ऐसे लोग देश को चला रहे है
देश पे मर मिटने वाले शहीदों के
अरमानो को जला रहे है

हे प्रभो ! नही नही हे जनता !
आप ही इस देश को बचा सकते है
देश के गद्दारो को सबक सिखा सकते है

Tuesday, September 22, 2009

मँहगाई और तनख्वाह

मँहगाई और तनख्वाह
एक बहुत आगे एक बहुत पीछे

आइये मँहगाई पे कुछ चित्र खीचें

दिन मे दिखाये ये सबको तारे
जिससे परेशान सभी है बेचारे

मँहगाई की पीछा जो कभी ना कर पाये
वही महीने की तनख्वाह कहलाये

कुछ समय बाद किलो मे, वस्तुओ
को खरीदना स्वप्न हो जायेगा
10 ग्राम घी खरीदने के लिये भी बैक
सस्ते दर पे कर्ज उपलब्ध करवायेगा

महिने के लिये घर का राशन
तौल कर नही गिन कर आयेगा
आने वाले समय मे आदमी अपनी
जेबे बडी और झोला छोटा सिलवायेगा


मँहगाई की परिभाषा,
ये कभी कम हो होगा, मत
करना ऐसी मूर्खतापूर्ण आशा


एक तरफ़ गडढा एक तरफ़ खाई
इस कहावत का नया रूप होगा
एक तरफ़ तनख्वाह एक तरफ़ मँहगाई

शादी के विग्यापन कुछ इस तरह
आवश्यकता है – वर की -------,
ब्राह्मण हो या चाहे हो कसाई
पछाड सके उसको जिसको कहते है मँहगाई

Tuesday, August 18, 2009

धर्म के नाम पे लहू क्यो बहाते हो

लाल रंग का है आपका लहू,
आपको मुसलमान कहू या हिन्दू?
तो आप मान गये कि लहू नही है
जाति और धर्म का आधार ,
फ़िर आप जाति और धर्म के
बीच मे लहू को क्यो लाते हो?
मौका मिलते हि एक दूसरे का
लहू क्यो बहाते हो ?

Friday, August 7, 2009

आज की सुरसा -महँग़ाई

आज महँग़ाई दर विज्ञान के नियमों पर चल रही है
तभी तो महगाँई दर मे जब ॠणात्मक वृद्धि हो रही है
तो ॠण और धन सन्तुलित करने के लिये सभी
चीजों के दामों मे धनात्मक(भयात्मक) वृद्धि हो रही है

जीवन के गहराई

मेरे मन के अह्सासो को छूकर
तुमने हमको अदभुत हर्ष दिया
जीवन के गहराई को मैने
सचमुच मे स्पर्श किया
मेरे खुशियो का जो आयत
तुमने इसको विस्तार दिया
मेरे आखो ने जो सपने देखे
उनको तुमने आकार दिया